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पद्मश्री पंकज उदास जी की मृत्यु

पद्मश्री पंकज उदास जी अब इस दुनिया में नहीं रहे हमे बहुत दुख हो रहा है की उनकी मृत्यु हो चुकी है आईए हम उनकी जीवनी के बारे में जानते हैं और उनकी मृत्यु कैसे हुई|




पद्मश्री पंकज उदास  की मृत्यु --------->>

 26 फरवरी को सुबह के 11 बजे उनकी मृत्यु हुआ काफी दिनो से उनकी तबीयत खराब थी जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहे थे उनकी मृत्यु के बाद से गीत गजल की दुनिया में दुखो का पहाड़ टूट पड़ा है लोग नम आंखों से उनकी श्रद्धांजलि दिऐ जा रहे है



पद्मश्री पंकज उदास की जीवनी ------->  

   पंकज उदास का जन्म गुजरात के राजकोट के पास राजखड़ी के जमींदार परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम केशू भाई और माता का नाम जीतू बेन उदास था उनके तीन भाई थे जिनके वो सबसे छोटे थे और उन्होने सबसे पहले संगीत की दुनिया में कदम रखा था उन्होंने सर बीपीटीआई भावनगर से शिक्षा प्राप्त किए उसके बाद उनके घरवाले मुंबई में रहने के किए आगए,


अपने बचपन में, उधास अपने पिता को दिलरुबा वाद्य बजाते देखते थे। संगीत में उनकी और उनके भाइयों की रुचि को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें राजकोट में संगीत अकादमी में दाखिला दिलाया। उधास ने शुरू में तबला सीखने के लिए खुद को नामांकित किया, लेकिन बाद में गुलाम कादिर खान साहब से हिंदुस्तानी मुखर शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया।  

पंकज उदास ने  फिल्म मोहरा में उनका संगीत बहुत ही प्रसिद्ध हुआ था जिसका नाम 'ना कजरे की धार, आई हैं के नाम से हैं, उस संगीत के बाद उनको बहुत बड़ी बड़ी उपलब्धियां मिलनी प्राप्त हो गई, और उनका संगीत भारत में बहुत प्रसिद्ध हो गया उनका गजल भी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ।



पंकज उदास के द्वारा गाये गए कुछ प्रसिद्ध गजल 

, मुस्कान , महक, रूबाई, घुटक, अमन, रूतई, गितनुमा, बैसाखी, आफरीन, वो लड़की बहुत याद आती , आहट, नायब , नबील। आदि गजल गीत लिखे हुए हैं।



उनकी मृत्यु से देश मे दुःख का माहोल हैं।



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